28-01-85  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

विश्व सेवाधारी का सहज साधन मंसा सेवा

विश्व-कल्न्याणकारी, सदा पर-उपकारी बापदादा बोले

आज सर्वशक्तिवान बाप अपने शक्ति सेना, पाण्डव सेना, रूहानी सेना को देख रहे हैं। सेना के महावीर अपनी रूहानी शक्ति से कहाँ तक विजयी बने हैं। विशेष तीन शक्तियों को देख रहे हैं। हर एक महावीर आत्मा की मंसा शक्ति कहाँ तक स्व परिवर्तन प्रति और सेवा के प्रति धारण हुई है? ऐसे ही वाचा शक्ति, कर्मणा शक्ति अर्थात् श्रेष्ठ कर्म की शक्ति कहाँ तक जमा की है? विजयी रत्न बनने के लिए यह तीनों ही शक्तियाँ आवश्यक हैं। तीनों में से एक शक्ति भी कम है तो वर्तमान प्राप्ति और प्रालब्ध कम हो जाती है। विजयी रत्न अर्थात् तीनों शक्तियों से सम्पन्न। विश्व-सेवाधारी सो विश्व-राज्य अधिकारी बनने का आधार यह तीनों शक्तियों से सम्पन्नता है। सेवाधारी बनना और विश्वसेवाधारी बनना, विश्व-राजन बनना वा सतयुगी राजन बनना इसमें भी अन्तर है। सेवाधारी अनेक हैं विश्व-सेवाधारी कोई-कोई हैं। सेवाधारी अर्थात् तीनों शक्तियों की नम्बरवार यथाशक्ति धारणा। विश्व-सेवाधारी अर्थात् तीनों शक्तियों की सम्पन्नता। आज हरेक के तीनों शक्तियों की परसेन्टेज देख रहे थे।

सर्वश्रेष्ठ मंसा शक्ति द्वारा चाहे कोई आत्मा सम्मुख हो, समीप हो वा कितना भी दूर हो - सेकण्ड में उस आत्मा को प्राप्ति की शक्ति की अनुभूति करा सकते हैं। मंसा शक्ति किसी आत्मा की मानसिक हलचल वाली स्थिति को भी अचल बना सकती है। मानसिक शक्ति अर्थात् शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना, इस श्रेष्ठ भावना द्वारा किसी भी आत्मा के संशय बुद्धि को भावनात्मक बुद्धि बना सकते हैं। इस श्रेष्ठ भावना से किसी भी आत्मा का व्यर्थ भाव परिवर्तन कर समर्थ भाव बना सकते हैं। श्रेष्ठ भाव द्वारा किसी भी आत्मा के स्वभाव को भी बदल सकते हैं। श्रेष्ठ भावना की शक्ति द्वारा आत्मा को भावना के फल की अनुभूति करा सकते हैं। श्रेष्ठ भावना द्वारा भगवान के समीप ला सकते हैं। श्रेष्ठ भावना किसी आत्मा के भाग्य की रेखा बदल सकती है। श्रेष्ठ भावना हिम्मतहीन आत्मा को हिम्मतवान बना देती है। इसी श्रेष्ठ भावना की विधि प्रमाण मंसा सेवा किसी भी आत्मा की कर सकते हो। मंसा सेवा वर्तमान समय के प्रमाण अति आवश्यक है। लेकिन मंसा सेवा वही कर सकता जिसकी स्वयं की मंसा अर्थात् संकल्प सदा सर्व के प्रति श्रेष्ठ हो, निःस्वार्थ हो। पर-उपकार की सदा भावना हो। अपकारी पर भी उपकार की श्रेष्ठ शक्ति हो। सदा दातापन की भावना हो। सदा स्व परिवर्तन, स्व के श्रेष्ठ कर्म द्वारा औरों को श्रेष्ठ कर्म की प्रेरणा देने वाले हो। यह भी करें, तब मैं करूँगी, कुछ यह करें कुछ मैं करूँ वा थोड़ा तो यह भी करें, इस भावना से परे। मैं करूँगी या करूँगा और आवश्यक करेंगे। कमज़ोर है, नहीं कर सकता है, फिर भी रहम की भावना, सदा सहयोग की भावना, हिम्मत बढ़ाने की भावना हो। इसको कहा जाता है - मंसा सेवाधारी। मंसा सेवा एक स्थान पर स्थित रहकर भी चारों ओर की सेवा कर सकते हो। वाचा और कर्म के लिए तो जाना पड़े। मंसा सेवा कहाँ भी बैठे हुए कर सकते हो।

‘मंसा सेवा’ - रूहानी वायरलेस सेट है। जिस द्वारा दूर का संबंध समीप बना सकते हो। दूर बैठे किसी भी आत्मा को बाप के बनने का, उमंग उत्साह पैदा करने का सन्देश दे सकते हो। जो वह आत्मा अनुभव करेगी कि मुझे कोई महान शक्ति बुला रही है। कुछ अनमोल प्रेरणायें मुझे प्रेर रही हैं। जैसे कोई को सम्मुख सन्देश दे उमंग उत्साह में लाते हो, ऐसे मंसा शक्ति द्वारा भी वह आत्मा ऐसे ही अनुभव करेगी जैसे कोई सम्मुख बोल रहा है। दूर होते भी सम्मुख का अनुभव करेगी। विश्व-सेवाधारी बनने का सहज साधन ही ‘मंसा सेवा’ है। जैसे साइंस वाले इस साकार सृष्टि से, पृथ्वी से ऊपर अन्तरिक्ष यान द्वारा अपना कार्य शक्तिशाली बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं। स्थूल से सूक्ष्म में जा रहे हैं। क्यों? सूक्ष्म शक्तिशाली होता है। मंसा शक्ति भी ‘अन्तर्मुखी यान’ है। जिस द्वारा जहाँ भी चाहो, जितना जल्दी चाहो पहुँच सकते हो। जैसे साइंस द्वारा पृथ्वी की आकर्षण से परे जाने वाले स्वत: ही लाइट (हल्के) बन जाते हैं। ऐसे मंसा शक्तिशाली आत्मा स्वत: ही डबल लाइट स्वरूप सदा अनुभव करती है। जैसे अन्तरिक्ष यान वाले ऊँचे होने के कारण सारे पृथ्वी के जहाँ के भी चित्र खींचने चाहें खींच सकते हैं ऐसे साइलेन्स की शक्ति से अन्तर्मुखी यान द्वारा मंसा शक्ति द्वारा किसी भी आत्मा को चरित्रवान बनने की, श्रेष्ठ आत्मा बनने की प्रेरणा दे सकते हो! साइंस वाले तो हर चीज़ पर समय और सम्पत्ति खूब लगाते हैं, लेकिन आप बिना खर्चे थोड़े समय में बहुत सेवा कर सकते हो। जैसे आजकल कहाँ-कहाँ फ्लाइंग सासर (उड़न तश्तरी) देखते हैं। सुनते हो ना - समाचार। वह भी सिर्फ लाइट ही देखने में आती है। ऐसे आप मंसा सेवाधारी आत्माओं का आगे चल अनुभव करेंगे कि कोई लाइट की बिन्दी आई, विचित्र अनुभव कराके गई। यह कौन थे? कहाँ से आये? क्या देकर गये! यह चर्चा बढ़ती जायेगी। जैसे आकाश के सितारों की तरफ सबकी नजर जाती है, ऐसे धरती के सितारे दिव्य ज्योति चारो ओर अनुभव करेंगे। ऐसी शक्ति मंसा सेवाधारियों की है। समझा? महानता तो और भी बहुत है लेकिन आज इतना ही सुनाते हैं। मंसा सेवा को अब तीव्र करो तब 9 लाख तैयार होंगे। अभी गोल्डन जुबली तक कितनी संख्या बनी है? सतयुग की डायमण्ड जुबली तक 9 लाख तो चाहिए ना। नहीं तो विश्व राजन किस पर राज्य करेगा, 9 लाख तारे गाये हुए हैं ना। सितारा रूपी आत्मा का अनुभव करेंगे तब 9 लाख सितारे गाये जायेंगे। इसलिए अब सितारों का अनुभव कराओ। अच्छा - चारों ओर के आये हुए बच्चों को मधुबन निवासी बनने की मुबारक हो वा मिलन मेले की मुबारक हो। इसी अविनाशी अनुभव की मुबारक सदा साथ रखना। समझा!

सदा महावीर बन मंसा शक्ति की महानता से श्रेष्ठ सेवा करने वाले, सदा श्रेष्ठ भावना और श्रेष्ठ कामना की विधि से बेहद के सेवा की सिद्धि पाने वाले, अपनी ऊँची स्थिति द्वारा चारों ओर की आत्माओं को श्रेष्ठ प्रेरणा देने के विश्वसेवाधारी, सदा अपनी शुभ भावना द्वारा अन्य आत्माओं को भी भावना का फल देने वाले, ऐसे विश्व-कल्याणकारी पर-उपकारी, विश्व-सेवाधारी बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

विदाई के समय अमृतवेले सभी बच्चों को यादप्यार दी - हर कार्य मंगल हो। हर कार्य सदा सफल हो। उसकी सभी बच्चों को बधाई। वैसे तो हर दिन संगमयुग के शुभ हैं, श्रेष्ठ हैं, उमंग उत्साह दिलाने वाले हैं। इसलिए हर दिन का महत्व अपना-अपना है। आज के दिन हर संकल्प भी मंगलमय हो अर्थात् शुभचिन्तक रूप वाला हो। किसी के प्रति मंगल कामना अर्थात् शुभ कामना करने वाला संकल्प हो। हर संकल्प मंगलम् अर्थात् खुशी दिलाने वाला हो। तो आज के दिन का यह महत्व संकल्प बोल और कर्म तीनों में विशेष स्मृति में रखना। और यह स्मृति रखना ही हर सेकण्ड बापदादा की यादप्यार स्वीकार करना है तो सिर्फ अभी यादप्यार नहीं दे रहे हैं लेकिन प्रैक्टिकल करना अर्थात् यादप्यार लेना। सारा दिन आज यादप्यार लेते रहना। अर्थात् याद में रह हर संकल्प बोल द्वारा प्यार की लहर में लहराते रहना। अच्छा - सभी को विशेष याद - गुडमॉर्निंग!